संपादकीय

हमारी नहीं ,तो लव की सुनो !

हम जैसे मुफस्सिल पत्रकार यदि अपने प्रधानमंत्री जी को कोई मश्विरा देते हैं तो उसे राष्ट्रविरोधी माना जाता है.हम जैसी लोगों के मश्विरे शहरी नक्सलियों की आवाज समझे जाते हैं इसलिए मै आज माननीय प्रधामंत्री जी से गुजारिश कर रहा हूँ की वे हम जैसे लोगों की बात भले न सुने लेकिन अपने मातहतों की बात तो सुन और मान ही लें.जैसे कि स्वास्थ्य मंत्रालय के संयकृत सचिव श्री लव अग्रवाल जो कह रहे हैं उसे सुना और माना जाना चाहिए तभी देश को कोरोना की प्रचंड और घातक तीसरी लहर के प्रकोप से बचाया जा सकेगा .खबर है कि प्रधानमंत्री जी आजकल में ही अपने चुनाव क्षेत्र काशी में अनेक योजनाओं का लोकार्पण करने जा रहे हैं.वे इस दौरान कम से कम छह हजार लोगों की एक सभा को भी सम्बोधित करने वाले हैं ,जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइड लाइन के मुताबिक़ इतना बड़ा जमावड़ा किया ही नहीं जाना चाहिए ,क्योंकि इससे कोरोना के एक बार फिर फैलने का खतरा है .प्रधमंत्री जी ने लव अग्रवाल की बात बंगाल,असम ,केरल के विधानसभा चुनावों के समय भी नहीं मानी थी .नतीजा क्या हुआ कि इन प्रदेशों के साथ ही पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहार ऐसी फैली कि देश की साँसें उखड़ना शुरू हो गयीं थीं.स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल का कहना है कि -‘कोरोना वायरस के थर्ड वेव को हल्के में ना लें. स्वास्थ्य विभाग के सचिव लव अग्रवाल ने कहा है कि यह जब आप कोरोना की तीसरी लहर के बारे में बात करते हैं तो आप यह समझें कि यह कोई ‘वेदर अपडेट’ नहीं है, यह बहुत ही गंभीर बात है.’.लव अग्रवाल जब इस तरह की चेतावनियां देते हैं तो वे प्रधानमंत्री जी की तरह अपने ‘मन की बात ‘ नहीं कर रहे होते.वे विशेषज्ञों की राय के आधार पर ही कुछ कहते हैं.लव ने जो भी कहा है वो सब सरकार की ओर से कहा है इसलिए सरकार को सबसे पहले उनकी बात सुनना चाहिए .देश का दुर्भाग्य और कोरोना का सौभाग्य है कि कोई भी दूसरी लहर के बाद और तीसरी लहर की चेतावनी के बावजूद कोई भी लव अग्रवाल की बात सुनने और मानने के लिए राजी नहीं हैं. दिल्ली के मुख्य्मंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब में चुनाव प्रचार करने में जुट गए हैं.वे जहाँ भी विधानसभा हैं वहां जा रहे हैं .प्रधानमंत्री जी भी प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठे-बैयहे ऊब गए हैं सो वे भी काशी जाना चाहते हैं. वे अपने मतदाताओं से बतिआना चाहते हैं. प्रधानमंत्री जी आकुलता समझी जानी चाहिए , नीति आयोग के सदस्य डाॅ वीके पाॅल ने वैश्विक स्तर की बात करें तो कई देश में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है. ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम ऐसा कोई काम ना करें जो कोरोना के ‘थर्ड वेवको निमंत्रण दे..हमारे यहां आज भी महाजन जिस रास्ते पर जाते हैं,जनता उनका अनुशरण करना चाहते हैं.अब यदि प्र्धानमंत्री जी 6 हजार लोगों की सभा करना चाहते हैं तो उनके अनुयायी कम से कम हजार,दो हजार लोगों की सभा तो कर गुजरेंगे ही.प्रधानमंत्री जी को अपनी ही सरकार का बयान सुनना ही चाहिए औरअगर कोई इसकी अवज्ञा करता मिले तो उसे भी उसी तरह से बरजना चाहिए जैसे आम आदमी को बारजा जाता है .दुर्भाग्य की बात ये है कि इस देश में प्रधानमंत्री जी तो क्या,कोई भी स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है.प्रधानमंत्री जी की ही तरह यूपी के मुख्यमंत्री ने राज्य में कांवड़ यात्रा को रोकने से इंकार कर दिया है. यूपी में हाल ही में ही पंचायत चुनाव के जरिये कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है ,आठ महीने बाद एक मिनी चुनाव फिर होना है इसके लिए भाजपा ने ही नहीं अपितु सभी राजनीतिक दलों ने अपने कानों में रुई ठूंस ली है ,और जनता से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपेक्षा की जा रही है..देश में अकेले लव अग्रवाल ही नहीं आईएमए जैसी संस्थाएं भी कोरोना प्रोटोकॉल में शिथिलता के बाद चौतरफा बरती जा रही घोर लापरवाही को लेकर जनता और सरकार को आगाह कर चुकी है ,पर जैसे -‘विनाश काले ,विपरीत बुद्धि ‘हो गयी है सभी की .जनता और नेता कोरोना की तीसरी लहर को आमंत्रित करने के लिए पलक पांवड़े बिछाने की होड़ में जुटे हुए हैं .कोरोना ने अब तक केवल आबादी की ही जान नहीं ली बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था को भी चारों खाने चित करके दिखा दिया है .इस संकट से उबरने के लिए रूपरेखा बनाने के बजाय सरकार और राजनीतिक दल चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं और जनता रोजी-रोटी के साथ ही अवसाद से उबरने की कोशिशों में जुटी हुई है .आपको बता दें कि केरल और महाराष्ट्र में महाराष्ट्र में 11 दिन यानी 11 जुलाई तक 88,130 से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसे देखकर विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर का आगमन है। इससे पहले पहली और दूसरी लहर में भी इसी तरह के रुझान देखने को मिले थे। केरल में 1.28 लाख से अधिक मामले पकड़ में आये हैं ,कोरोना से दुनिया के 188,517,461 लोग बीमार हो चुके हैं .कोई 4,063,662 की मौत हो चुकी है .अकेले भारत में 30 ,944 ,693 लोग कोरोना का कहर झेल चुके हैं और करीब 411 ,439 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं .अमेरिका हमसे इस मामले में आगे है लेकिन वहां कोरोना प्रोटोकॉल में छूट के बावजूद राजनितिक,धार्मिक और अन्य भीड़भाड़ वाली गतिविधियां गतिशील नहीं हैं .कम से कम सरकार और राजनीतिक दल तो भीड़ नहीं जुटा रहे .बहरहाल प्रधानमंत्री जी अपने संयुक्त सचिव लव अग्रवाल की बात मानें या न मानें मेरी आप सभी से गुजारिश है कि आप सब क्रूर संयम से काम लें. घर से निकलें लेकिन किसी जमावड़े का हिस्सा न बने,राजनीतिक जमावड़े का तो बिलकुल नहीं .क्योंकि राजनीति अपना उल्लू सीधा करना जानती है,उसे किसी के जीने-मारने से कुछ लेना-देना नहीं है

.@ राकेश अचल

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