उत्तर प्रदेश

निजी लैब से जांच कराने को मजबूर हो रहें डेंगू के दंश से बेजार रोगी

जन सामान्य को स्वस्थ एवं निरोग बनाए रखने के लिए सरकार भारी भरकम बजट खर्च करके हर सुविधा जुटाने का निरंतर प्रयास कर रही है। स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारी शासन की जनहितकारी योजनाओं में पलीता लगा रहे है।

 

बता दें कि, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कायमगंज में आज से तीन-चार दिन पहले तक डेंगू बुखार के उपचार के लिए कोरी कागजी खाना पूरी करके डेंगू वार्ड स्थापित होना बताया जाता रहा। लेकिन अब इसकी पोल मीडिया ने खोलना शुरू कर दी। तब कहीं जाकर दो कमरों वाला डेंगू वार्ड अस्तित्व में आ सका। आज भी इस सरकारी अस्पताल में यहां के जिम्मेदार अधीक्षक ने लैब होते हुए भी तेज बुखार से पीड़ित, यहां आने वाले मरीजों को खून की जांच कराने की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है। परिणाम स्वरूप हर एक पीड़ित मरीज अस्पताल के इर्द-गिर्द प्राइवेट रूप से काम करने वाली लैबों से ही खून की जांच कराने के लिए मजबूर होता दिखाई दे रहा है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि इसके पीछे भी प्राइवेट खून जांच कर्ता सीएचसी बालों को कमीशन देते हैं। इसी लो-लुप्ता के कारण मरीजों को खून की जांच बाहर से कराने के लिए बाध्य किया जाता है।

 

सीएचसी में आए डेंगू पीड़ित इलमा (09) पुत्री जुबेर सधवाड़ा कायमगंज, फिरोज (20) पुत्र मुईनअंसारी, लालाराम (65) पुत्र सुखलाल इजौर, रुबीना बेगम (50) पत्नी शवीखान, अर्पित कुमार (18) पुत्र इतवारी लाल बराविकू, फर्लिन पुत्र सोहेल जैसे अन्य मरीजों को भी जिनका उपचार यहां किया गया या फिर उन्हें रेफर कर दिया गया। सभी पीड़ितों को खून की जांच कराने के लिए अस्पताल लैब की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गयी। इन सभी को बाहर से ही खून की जांच रिपोर्ट आने पर डेंगू पीड़ित माना गया। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही एवं धन लो-लुप्ता के ही कारण नगर तथा इसके आसपास वाले हर सड़क मार्ग पर झोलाछाप डेंगू सहित अन्य बीमारियों का उपचार करके लोगों के जीवन से खुला खिलवाड़ कर रहे हैं। इस सम्बंध में संचारी रोग के नोडल अधिकारी डॉक्टर राजीव शक्य ने बताया कि डेंगू की जांच की सुविधा सीएचसी पर मौजूद नहीं है।

 

 

 

loading...

Related Articles

Back to top button