राष्ट्रीय

“आलू” ने देश में बनाया नया रिकॉर्ड

डॉ. राहुल सिघई, फीरोजाबाद: कोरोना काल से छाई मंदी के बीच आलू के भाव में जबरदस्त उछाल आया है। आलू के प्रति कट्टा (50 किलो) की कीमत थोक में 1550 तक पहुंच गई है। बीते 25 साल में यह आलू की रिकॉर्ड कीमत बताई जा रही है। इससे आलू का बुवाई रकबा फिर बढ़ने के आसार हैं।

कोरोना काल में सब्जी किसानों की सबसे ज्यादा दुर्गति हुई। अप्रैल से मई के बीच सब्जियों के दाम इतने गिरे कि किसान मंडी में सब्जियां फेंककर लौट गए। मगर, आलू अप्रैल में हजार रुपये प्रति कट्टा (50 किलो) कीमत पर टिका रहा। मई और जून में दाम कुछ गिरे। अनलॉक होते ही आलू ने फिर उड़ान भरी। अगस्त में कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। आकार का अंतर खत्म, इतराई किर्री

खोदाई के बाद आलू को तीन साइज में बांटा जाता है।

—- ऐसे बढ़े आलू के दाम…

फरवरी से मार्च—600-800 रुपये प्रति कट्टा

अप्रैल —-1000-1100 रुपये प्रति कट्टा

मई——-750–850 रुपये प्रति कट्टा

जून—– 800–1000 रुपये प्रति कट्टा

जुलाई—-1000–1200 रुपये प्रति कट्टा

अगस्त—1200–1550 रुपये प्रति कट्टा

सितंबर–1400–1550 रुपये प्रति कट्टा —–

एक नजर–

– 50,700 हेक्टेअर में हुई थी बुवाई

– 12.35 लाख मीट्रिक टन की पैदावार

– 9.76 लाख मीट्रिक टन आलू रखा गया कोल्ड स्टोरों में

– 158 कोल्ड स्टोर संचालित हैं जिले में गुजरात छोड़कर पूरे देश में जा रहा आलू: आलू की सप्लाई दक्षिण भारत के कई शहरों और पंजाब तक जा रही है। कारोबारियों के मुताबिक गुजरात में स्थानीय आलू चल रहा है। कर्नाटक के हसन क्षेत्र में पैदा होने वाला आलू बाजार में आ गया है। नवंबर में पंजाब, बेलगाम सहित अन्य राज्यों का आलू आ जाएगा। इसके बाद भाव गिरने के आसार हैं।

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‘पिछले 25 साल से आलू कारोबार में हूं। अब तक आलू में ऐसी तेजी नहीं देखी। आलू 1500-1550 प्रति कट्टा बिका है। कोल्ड स्टोर में फिलहाल 40 फीसद आलू रखा है। अक्टूबर से बीज निकासी शुरू हो जाएगी।’

-राजीव जैन, अध्यक्ष कोल्ड स्टोर एसो. – पिछले तीन साल आलू किसान लगातार घाटे में रहा। इस बार आलू की कीमत का रिकॉर्ड बना है। किसानों को सलाह है कि इस कीमत को समझकर बिक्री पर विचार करें। इस बार रकबा बढ़ने के आसार हैं।

-विनय कुमार, जिला उद्यान अधिकारी

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