राष्ट्रीय

रूस से 70 हजार एके-103 राइफल खरीदेगा भारत

भारतीय वायुसेना ने आपातकालीन खरीदारी के तहत रूस से 70 हजार एके-103 राइफल खरीदने का करार किया है। यह सेना में मौजूद इंसास राइफलों की जगह लेंगी। ऐसे समय में जब भारत में सक्रिय आतंकवादी समूहों को अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियार मिलने की संभावना है, यह डील वायुसेना की ताकत में बढ़ोतरी करने के लिए अहम है। एके-103 राइफलें भारत को अगले कुछ महीनों में ही उपलब्ध हो जाएंगी। इससे देश की सेना को आतंकियों से निपटने में मदद मिलेगी।सरकार के सूत्र के अनुसार सेना को इस वक्त करीब 1.5 लाख नई असॉल्ट राइफल की दरकार है। इसी को ध्यान में रखते हुए रूस से 70,000 एके-103 असॉल्ट राइफल खरीदने के लिए आपातकालीन प्रावधानों के तहत पिछले सप्ताह लगभग 300 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। हथियार सबसे पहले जम्मू-कश्मीर, श्रीनगर जैसे संवेदनशील हवाई बेसों के साथ फील्ड एरिया में सैनिकों को मुहैया कराए जाएंगे। बाकी बची राइफलों की पूर्ति भारत और रूस के बीच होने वाली ज्यादा उन्नत एके-203 राइफल की डील के जरिए की जाएगी। एके-203 असॉल्ट राइफलों के अनुबंध सेना के तहत किया जा रहा है। सेना को अपने सैनिकों की मारक क्षमता को मजबूत करने के लिए करीब 6.5 लाख राइफलों की जरूरत है। वही, वायुसेना की जरूरत को पूरा करने के लिए 4,000 एसआई सॉर असॉल्ट राइफलों को खरीदने की तैयारी की जा रही है।सीधे रूस से खरीदने की तैयारीदरअसल, भारत ने 2019 में रूस के साथ उत्तर प्रदेश में ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड के कोरबा प्लांट में 7.5 लाख एके-203 राइफल बनाने का करार किया था, लेकिन प्लांट में अब काम शुरू नहीं हो पाया। यही वजह है भारत ने 70 हजार राइफल सीधे रूस से खरीदने का फैसला किया है। इससे पहल लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन से चल रहे विवाद के दौरान भारत ने अमेरिका से भी 1.44 लाख एसआईजी सॉर राइफल इमरजेंसी प्रक्योरमेंट के तहत सीधे खरीदी थीं। हालांकि, एसआईजी सॉर राइफल भारतीय सेना के लिए खरीदी गई थी और इनका इस्तेमाल भारतीय सेना ने शुरू कर दिया है। एलओसी और एलएसी, दोनों ही मोर्चों पर तैनात भारतीय सैनिक इन राइफल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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