काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का 70 प्रतिशत क्षेत्र बाढ़ में डूबा
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है। ब्रह्मपुत्र के बढ़ते जल स्तर के कारण काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र जलमग्न हो गया है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र में 223 वन शिविरों में से 125 वन शिविर जलमग्न हो गए हैं। इस बीच पांच हिरणों की अलग-अलग घटनाओं में मौत हुई है।
काजीरंगा की सड़कों पर वाहनों के चलने के लिए टाइम कार्ड जारी किया गया है लेकिन वाहनों की टक्कर से तीन और एक हिरण की मौत बाढ़ के कारण हुई है। सोमवार की तड़के काजीरंगा राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोंहरा वनांचल से रिहायशी इलाकों की ओर हिरणों का एक समूह पहुंचा था। इस बीच कोंहरा वनांचल के पास मिहिमुख के दो नंबर शिलडूबी इलाके में एक हिरण की अपराधियों ने हत्या कर दी।
अपराधियों को ढूंढने के लिए वन विभाग की कार्रवाई जारी है। दूसरी ओर बाढ़ के दौरान अवैध शिकारियों पर नजर रखने के लिए उद्यान के वनकर्मी संवेदनशील इलाकों में नाव से पहरा दे रहे हैं।
बाढ़ के चलते काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के वन्य जीव भोजन और सुरक्षित आश्रय की तलाश में राष्ट्रीय राजमार्ग-37 को पार कार्बी पहाड़ की ओर पलायन कर रहे हैं। कार्बी पहाड़ की ओर आने वाले वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कार्बी हिल्स के वन शिविरों तैनात वन सुरक्षा कर्मी कड़ी निगरानी कर रहे हैं।
दूसरी ओर, वन विभाग ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर शरण लेते समय या राजमार्ग पार करते समय कोई जानवर दुर्घटनाग्रस्त न हो, इसके लिए जगह-जगह बैरिकेड की व्यवस्था की है। साथ ही काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्र में या पशु गलियारों वाले इलाकों में वाहनों की गति को नियंत्रित करने के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग-37 पर वाहनों की गति 40 किमी प्रति किमी निर्धारित किया गया है। यदि कोई वाहन निर्धारित गति से अधिक रफ्तार में वाहनों को चलाते पाया गया तो उसे 5000 हजार रुपये का जुर्माना अदा करना होगा।