उत्तर प्रदेश

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के नाम खुली थी हिस्ट्रीशीट

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के खिलाफ कई मामले दर्ज रहे हैं। हिस्ट्रीशीट भी खुल चुकी थी, जो अदालत के आदेश पर बंद कर दी गई थी। वर्ष 1990 में थाना तिकुनिया में धारा 147, 323, 504 और 324 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। 1996 में कोतवाली तिकुनिया में हिस्ट्रीशीट खोली गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हिस्ट्रीशीट बंद कर दी गई थी। इसके बाद वर्ष 2000 में प्रकाश गुप्ता उर्फ राजू की हत्या में अजय मिश्र टेनी मुख्य अभियुक्त बने । 2005 में बलवा मारपीट का मामला दर्ज किया गया था, इसमें अजय मिश्र टेनी समेत उनके पुत्र आशीष मिश्र उर्फ मोनू नामजद किए गए थे वर्ष 2007 में मारपीट और धमकी देने के मामले मेें भी अजय मिश्र टेनी समेत उनके पुत्र आशीष मिश्र भी नामजद किए गए थे। अब इस बवाल के बाद फिर से केंद्रीय मंत्री की पुरानी पृष्ठ भूमि खंगाली जा रही है।

एक बार विधायक और दूसरी बार सांसद बने हैं अजय मिश्र

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी एक बार विधायक रहे और दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। इससे पहले वह कोऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष भी बने। अजय मिश्र वर्ष 2012 में निघासन से भाजपा के विधायक बने। फिर 2014 में लोकसभा चुनाव में खीरी से पहली बार सांसद बने। इसके बाद वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा से खीरी सांसद बने। इसके बाद सात जुलाई 2021 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पिता अंबिका प्रसाद मिश्र थे, जिनका करीब 18 साल पहले निधन हो गया। वह एक बड़े किसान थे। भाई चार हैं, जिसमें अजय मिश्र दूसरे नंबर पर हैं। इनके एक भाई विजय मिश्रा के खिलाफ खाद्यान्न घोटाले को लेकर सीबीआई की टीम नोटिस तामील कराने आई थी। जबकि एक भाई स्कूल संचालक हैं। मंत्री के दो पुत्र हैं इनमें एक पुत्र डा. अभिमन्यु मिश्र हैं, जो अपनी निजी प्रैक्टिस करते हैं और दूसरे आशीष मिश्र उर्फ मोनू हैं, जो राजनीति में हैं। गृह राज्यमंत्री उन्हें अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ा रहे थे।

बेटे के राजनीतिक सफर पर लगा प्रश्नचिह्न

आशीष मिश्रा मोनू के राजनीतिक कैरियर पर प्रश्नचिन्ह लग गया है, क्योंकि वह 2022 विधानसभा चुनाव के लिए निघासन सीट से अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुटे थे। इसके लिए वह क्षेत्र में दौरा कर जनसंपर्क भी कर रहे थे। लेकिन किसान आंदोलन में उन पर लगे आरोपों ने उनके राजनीतिक कैरियर को संकट में डाल दिया। क्योंकि अब मोनू के खिलाफ हत्या, बलवा और साजिश रचने के गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज हो चुका है और किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है।

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