उत्तर प्रदेश के इस शहर में लागू हुई धारा 144, उल्लंघन करने वालो के खिलाफ ……

लखनऊ। इक्कीस अगस्त को शुरु हो रहे मोहर्रम, गणेश चतुर्थी को लेकर राजधानी में किसी भी प्रकार की जुलूस, धार्मिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं दी गयी है। इसको देखते हुए शहर में धारा 144 लागू किया गया है। यह आदेश तत्काल प्रभावी होगा और यदि बीच में वापस न लिया गया तो 15 सितम्बर तक लागू रहेगा। साथ ही इस आदेश का उल्लंघन करने पर धारा 188 के तहत कार्रवाई की जायेगी। इस निर्देश को कड़ाई से पालन कराया जाये।
संयुक्त पुलिस आयुक्त, नवीन अरोरा ने बताया कि कमीशनरेट में ऐसे सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रम, जुलूस, रैली, प्रदर्शन, व्यापारी प्रदर्शनी इत्यादि सशर्त प्रतिबंधित रहेंगे। किसी भी ऐसे कार्यक्रम में पांच से अधिक व्यक्तियों का सम्मेलन संभव नहीं होगा।
आगामी मोहर्रम पर परम्परागत जुलूस, ताजिये, मजलिसें, जलसे, शबीलें आयोजित नहीं की जायेंगी।, गणेश चतुर्थी के अवसर पर किसी भी पूजा पंडाल में मूर्ति स्थापना करने व शोभा यात्राएं निकालने की अनुमति नहीं होगी। आगामी त्योहारों पर परंपरागत जुलूस या कार्यक्रम बिना पुलिस के अनुमति के आयोजित नहीं किए जाएंगे न ही किसी प्रकार की नई परंपरा स्थापित होगी। किसी भी राजनीतिक दल द्वारा सार्वजनिक स्थलों अथवा महत्वपूर्ण स्थानों पर धरना प्रदर्शन सामूहिक प्रदर्शन नहीं किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि किसी धार्मिक स्थल,सार्वजनिक स्थल,जुलूस और अन्य आयोजनों पर लाउड-स्पीकर की तेज आवाज से नहीं बजाया जायेगा। रात दस बजे से सुबह छह बजे तक कोई भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग नहीं किया जायेगा।
इस संबंध में आकस्मिक परिस्थितियों में बिना सक्षम अधिकारी के पूर्वानुमति प्राप्त किए आवागमन न किया जाए।
कोविड-19 दृष्टिगत जनपद में चिन्हित जोखिम क्षेत्रों में कोई भी धार्मिक, सांस्कृतिक,राजनैतिक अथवा सार्वजनिक कोई भी आयोजन नहीं किया जाएगा और न ही ऐसा कोई आयोजन इस क्षेत्र से गुजरेगा ऐसा करने पर वह महामारी अधिनियम के उल्लघंन का दोषी माना जाएगा।
धर्म ग्रन्थों का नहीं किया जाये अपमान
उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति एक-दूसरे के धर्म ग्रन्थों का अपमान नहीं करेगा। धार्मिक स्थानों,दीवारों आदि पर किसी प्रकार के धार्मिक झंडे, बैनर, पोस्टर आदि नहीं लगायेगा, न ही किसी को इस कार्य में सहयोग प्रदान करेगा। समुदाय के व्यक्ति द्वारा दूसरे समुदाय के भावनाओं के विपरीत ऐसा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जायेगा, जिससे शांति भंग होने की आशंका हो और न ही दूसरे समुदाय के धार्मिक भावनाओं के विरूद्ध किसी प्रकार का उत्तेजनात्मक भाषण दिया जायेगा और न ही ऐसे किसी कार्यक्रम की घोषणा की जायेगी।