ISLAMIC NEW YEAR: जानिये क्यों, कब, कैसे हुई थी हिजरी कैलेंडर की शुरूआत
आज 20 अगस्त का दिन इस्लामिक न्यू ईयर 1442 का पहला दिन है। इस्लामी वर्ष के पहले महीने को मुहर्रम कहा जाता है। इस्लामिक नव वर्ष की शुरुआत 622 AD से हुई जब पैगंबर मोहम्मद धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए मक्का से यत्रिब (जिसे अब मदीना कहा जाता है) चले गए थे। इस प्रवास को अरबी भाषा में में हिज्रा कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे Hijra या Hegira लिखते हैं।
इस आधार पर हिजरी संवत भी कहते हैं। पश्चिमी देशों में इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए, इस बार के नए साल का पहला दिन 19 अगस्त से शुरू है और 20 अगस्त, 2020 की शाम तक है। अलग-अलग इलाकों में यह वक्त अलग-अलग भी हो सकता है, क्योंकि पहला दिन निर्धारित करने के एक से अधिक तरीके हैं।
जिस दिन चांद दिखाई दे अथवा किसी खगोलीय विधि से चंद्रमा की चाल पढ़कर भी साल का पहला दिन निर्धारित किया जाता है। इस्लामी कैलेंडर चंद्र वर्ष पर आधारित है होता है जिसमें 12 महीने होते हैं, लेकिन केवल 354 दिन होते हैं। इस्लामिक नव वर्ष आमतौर पर कम धार्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाता है। इस दिन कुछ मुस्लिम देशों में आधिकारिक छुट्टी रहती है, लेकिन अधिकांश देशों में ऐसा नहीं होता।
हिजरी कैलेंडर की शुरुआत: 638 एडी में इस्लाम मानने वालों के दूसरे खलीफा, उमर को कैलेंडर की जरूरत महसूस हुई। ईरान, सीरिया, मिस्र आदि मुल्कों में अलग-अलग कैलेंडर इस्तेमाल किए जाते थे। सो, खलीफा उमर ने एक ऐसे कैलेंडर की कल्पना की जो संपूर्ण मुस्लिम जगत के लिए हो। हिजरी कैलेंडर की शुरुआत इसी का नतीजा थी।
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इस्लामिक नव वर्ष पर अगर आप किसी को मुबारकबाद देना चाहें तो हम कुछ मैसेज यहां दे रहे हैं:
“न हिला पाया वो रब की मैहर को भले जात गया वो कायर, जंग पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ वही था असली और सच्चा पैगम्बर।”
“कब था पसन्द रसूल को रोना हुसैन का, आगोश-ए-फातिमा थी बिचौना हुसैन का, होना गोर-ओ-बे कफन है क़यामत से कम नहीं, सेहरा का गर्म रेत पर सोना हुसैन का”
“क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने, नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्यातें, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।”