योगी सरकार का निशाना ब्राह्मण ही क्यों ❓सभी ब्राह्मणों के शस्त्र लाइसेंस की मांगी जानकारी 🤔
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचार के आरोपों के बीच योगी सरकार ने प्रदेशभर के जिलाधिकारियों से नई जानकारी मांगी. खबर के मुताबिक, सरकार ने पूरे प्रदेश के जिलाधिकारियों से ये जानकारी मांगीकि उनके जिले में कितने ब्राह्मणों ने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. उनमें से कितने लोगों को लाइसेंस दिए गए. बाद में आदेश वापस ले लिया गया.
ये जानकारी उस सवाल के आधार पर मांगी गई, जिसमें बीजेपी के विधायक देवमणि द्विवेदी ने ब्राह्मणों पर हो रहे हमलों, एनकाउंटर, हत्याओं पर सवाल उठाते हुए सरकार से ये जानकारी मांगी थी, जिसमें कहा कि सरकार बताए कि ब्राह्मणों की सुरक्षा के लिए आखिर क्या किया गया है.
इसी क्रम में ये भी पूछा गया कि अब तक कितने ब्राह्मणों ने शस्त्र के लाइसेंस के लिये आवेदन दिया है और कितने लोगों को शस्त्र लाइसेंस दिया गया है. इस मामले में जिलाधिकारियों को पत्र भी भेज दिए गए, लेकिन इसमें विवाद होने की आशंका के चलते प्रशासन ने बाद में इस जानकारी की मांग को निरस्त कर दिया.
अब इस संभावित राजनीति की आशंका के चलते सरकार और प्रशासन देने ही ऐसी किसी बात से इनकार कर रहे हैं. वहीं विधायक देवमणि द्विवेदी भी किसी भी तरह के कमेंट करने से बच रहे है.
कांग्रेस ने योगी सरकार से पूछे सवाल
इस पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केवल ब्राह्मण समाज के शस्त्र लाइसेन्स का डेटा इकठ्ठा करने के पत्र का राज क्या है? किससे पूछ यह पत्र जारी किया और क्यों? क्या ब्राह्मण समाज को टारगेट किया जा रहा है? हरियाणा में ब्राह्मण समाज के बारे गंदे सवाल पेपर में पूछे जाते हैं और यूपी में ऐसे पत्र. आखिर बीजेपी की मंशा क्या है?
विधायक देवमणि ने पूछे थे सवाल सुल्तानपुर से विधायक देवमणि द्विवेदी ने पूछा था कि क्या राज्य सरकार ने ब्राह्मणों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई योजना बनाई है या नहीं और क्या सरकार प्राथमिकता के आधार पर ब्राह्मणों को हथियार लाइसेंस प्रदान करेगी. साथ ही उन ब्राह्मणों की संख्या के बारे में भी पूछा था, जिन्होंने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया है और उनमें से कितने को अनुमति दे दी गई.
विधायक देवमणि द्विवेदी ने पूछा था कि पिछले तीन वर्षों में कितने ब्राह्मण मारे गए हैं और इस अवधि में कितने आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. साथ ही यह जानने की भी कोशिश की कि कितने मामलों में पुलिस आरोपियों को सजा दिलाने में सफल रही है.