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दीप, दीपक, दीवा या दीया वह पात्र है जिसमें सूत की बाती और तेल या घी रख कर ज्योति प्रज्वलित की जाती है। पारंपरिक दीया मिट्टी का होता है लेकिन धातु के दीये भी प्रचलन में हैं। प्राचीनकाल में इसका प्रयोग प्रकाश के लिए किया जाता था पर बिजली के आविष्कार के बाद अब यह सजावट की वस्तु के रूप में अधिक प्रयोग होता है। धार्मिक व सामाजिक अनुष्ठानों में इसका महत्व अभी भी बना हुआ है। यह पंचतत्वों में से एक, अग्नि का प्रतीक माना जाता है। दीपक जलाने का एक मंत्र[ख] भी है जिसका उच्चारण सभी शुभ अवसरों पर किया जाता है। इसमें कहा गया है कि सुन्दर और कल्याणकारी, आरोग्य और संपदा को देने वाले हे दीप, हमारी बुद्धि के विकास के लिए हम तुम्हें नमस्कार करते हैं।

हमारे हिन्दू धर्म मे दीप प्रज्वलित करना या दीपक जलाना काफी शुभ माना जाता हैं और कहा जाता हैं कि दीप जलाने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं। किसी भी मांगलिक कार्यों में भी दीपक जलाने का विधान हैं, इसके अलावा सुबह के समय और संध्या के समय भी दीप प्रज्वलित किया जाता हैं। कहा जाता हैं कि दीप के माध्यम से हम अपने इष्टदेव के सम्पर्क में आते हैं और हमारे मन मे किसी मनोकामना के लिए हम दीपक जलाकर प्रभु से मांगते हैं।
हर देवी-देवताओं के सम्मुख दीप जलाया जाता हैं लेकिन अलग-अलग मनोकामना और अलग-अलग भगवानों के लिए विभिन्न प्रकार के दिये जलाए जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसी भी बातें हैं जिनका आपको दीप जलाते समय ध्यान रखना हैं।
सिर को ढककर रखें 
जब भी हम कोई पूजा या शुभ कार्य इत्यादि करते हैं तो हमें अपने सिर को ढक कर रखना चाहिए, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम पुरुष हैं या महिला, इसी के साथ जब भी आप दीप जलाएं तो अपने सिर को अवश्य किसी भी कपड़े या रुमाल की सहायता से ढक लीजिये। बिना सिर ढके दीया जलाने की गलती अधिकांश व्यक्ति करते हैं।
दीप को खाली जगह पर मत रखें 
दीया जलाते समय या तो उसके नीचे साबुत चावल के दानें, फूल की पत्तियां, सात प्रकार के अनाज या दोना रख ले, क्योंकि कभी भी खाली जगह पर रख कर दीपक प्रज्वलित नहीं किया जाता।
मां दुर्गा की उपासना के लिए 
अगर आप मां दुर्गा या मां भगवती के सम्मुख कोई मनोकामना रखना चाहते हैं तो उनके सामने दीप जलाते समय दीपक में तिल का तेल प्रयोग में लीजिये और रुई की जगह मोली या कलावा की बत्ती बनाइये। यह उपाय करने से मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं।
अपने इष्टदेव की पूजा के लिए 
अगर आप अपने इष्टदेव की पूजा करते समय दीपक जलाना चाहते हैं तो गाय के देशी घी से दीप प्रज्वलित कीजिये।
शत्रुओं से मुक्ति के लिए 
अगर आप शत्रुओं से परेशान हैं और उनसे मुक्ति चाहते हैं तो चमेली या सरसों के तेल का दीपक जलाएं और दीपक में दो लौंग डाल दें। उसके बाद हनुमानजी की आरती कीजिये। अगर आप किसी भी तरह की परेशानी से आजादी चाहते हैं तो दीपक जलाते समय इस मंत्र का उच्चारण करें
शुभम करोति कल्याणं, आरोग्य धन संपदाम| 
शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते|| 
इस उपाय को करने से कभी भी आपको शत्रु परेशान नही करेगा और आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाएगी।

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