आचार्य चाणक्य के अनुसार इन 8 बातो का परहेज करना चाहिए – जानिए वो बात
युवा शक्ति समाज और देश की रीढ़ होती है। युवा ही देश को एक नए शिखर पर ले जाते हैं। इसी बात को समझते हुए चाणक्य ने युवाओं के लिए कुछ ऐसी बातें बताईं हैं जिनसे युवा वर्ग को परहेज करना चाहिए। ये वो 8 चीजें हैं जो किसी भी युवा को पीछे धकेलने का काम करती हैं इसलिए इन चीजों पर कंट्रोल बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं चाणक्य की युवाओं के लिए 8 मुख्य नीतियां.
1. कामवासना : चाणक्य कहते हैं कि देश के युवा को कामवासना से दूर रहना चाहिए। क्योंकि जब युवा इन बातों में उलझ जाता है तो वह ना तो अध्ययन और ना ही अपनी सेहत पर ध्यान दे पाता है। इससे वह धीरे धीरे बर्बादी की कगार पर जाने लगता है। जबकि यह उम्र है सीखने और सक्रिय रहने की।
2. क्रोध : क्रोध किसी भी इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि क्रोध में आते ही व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। इसलिए क्रोध से युवाओं को हमेशा बचना चाहिए।
3. लालच : लालच या लोभ किसी भी इंसान को बर्बाद कर सकता है। लालच युवाओं के अध्ययन के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक माना जाता है। इसलिए युवाओं को किसी लालच में पढ़ने से बचना चाहिए।
4. स्वाद : चाणक्य कहते हैं युवा छात्र को स्वादिष्ट भोजन की लालसा छोड़ देनी चाहिए और उसकी जगह स्वास्थ्यवर्धक संतुलित आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि इससे स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जिससे अध्ययन के मार्ग में कोई बाधा नहीं आयेगी।
5. श्रृंगार : युवा विद्यार्थियों को फेशन से दूर रहना चाहिए। उसे हमेशा सादा जीवनशैली अपनाना चाहिए। साफ-सुथरे रहें लेकिन ज्यादा साज-सज्जा, श्रृंगार करने से युवाओं का मन अध्ययन से भटक सकता है। अत: चाणक्य कहते हैं इनसे दूरी बनाकर रखें।
6. मनोरंजन : आचार्य चाणक्य का कहना है कि छात्रों के लिए जरूरत से ज्यादा मनोरंजन नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए जितना जरूरी हो उतना ही मनोरंजन करें।
7. नींद : जरूरत भर की नींद स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है लेकिन जरूरत से ज्यादा नींद स्वास्थ्य और आपके जीवन के लिए हानिकारक साबित होती है। युवा वर्ग अगर नींद से ही प्रेम करने लगे तो उनमें आलस्य की मात्रा बढ़ जाती है जिससे किसी भी चीज का अध्ययन करने का समय भी उनके पास कम बचता है।
8. सेवा : वैसे तो सेवा करना एक अच्छा कर्म होता है लेकिन चाणक्य की नीति कहती है सबकी सेवा करों पर अपना भी ख्याल रखो। कुछ युवा सेवा के अतिरेक में स्वयं पर ध्यान नहीं देते हैं अत: वह अपना कीमती समय खो देते हैं। चाणक्य कहते हैं कि जो अपने आप को भूलकर सेवा करता है वह अंत में खाली रह जाता है।