टीचर की हत्या पर यूपी में ब्राह्मण राजनीति, मुंबई में शिवसेना भी दुःखी ?
नई दिल्ली: चुनाव तो बिहार में है. लेकिन माहौल यूपी में भी कम गर्म नहीं है. विपक्षी पार्टियां योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी साबित करने में जुटी हैं. बस मौक़ा मिलना चाहिए. आज विपक्ष को ये अवसर मिल गया. सीतापुर में एक रिटायर्ड टीचर कमलेश मिश्र की हत्या हो गई. ये घटना तब हुई जब वे पूजा करने जा रहे थे. कमलेश की हत्या के बहाने योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठाए जाने लगे. पिछले कुछ महीनों से उन्हें ब्राह्मण विरोधी बताने की मुहिम चल पड़ी है. सीतापुर में मारे गए कमलेश भी संयोग से ब्राह्मण जाति के हैं .बस विपक्ष को तो जैसे इसी बात का इंतज़ार था.
आम आदमी पार्टी का यूपी में कोई जनाधार नहीं है.
कगंना रनौत और रिया चक्रवर्ती को लेकर शिवसेना इन दिनों बीजेपी के निशाने पर है. यूपी में शिवसेना के कार्यकर्ता गिनती के हैं. लेकिन सीतापुर की घटना की आड़ में पार्टी अब योगी आदित्यनाथ के पीछे पड़ गई है. शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया, “यूपी में एक जाति विशेष के लोगों की हत्या हो रही है.” प्रियंका ने तो मोदी सरकार को भी इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने जल्द से जल्द दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है. समाजवादी पार्टी ने भी कमलेश मिश्र के हत्यारों की जल्द गिरफ़्तारी की मांग की है.
सब मिल कर योगी आदित्यनाथ की छवि ब्राह्मण विरोधी बनाने में लगे हैं. अचानक से सबको इस समाज के लोगों की चिंता होने लगी है. ये चिंता चुनावी है. यूपी में क़रीब 11 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर हैं. उन्हें खुश करने के लिए इन दिनों तरह तरह के दावे किए जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने तो परशुराम की 108 फ़ीट मूर्ति लगाने का एलान किया है. तो मायावती ने परशुराम के नाम पर अस्पताल बनाने की घोषणा कर दी है. कांग्रेस में जितिन प्रसाद परशुराम जयंती पर सरकारी छुट्टी की मांग कर रहे हैं. कुल मिला कर ब्राह्मण वोट का बाज़ार सज गया है. वैसे यूपी के ब्राह्मणों ने 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी का साथ दिया.