उत्तर प्रदेश

यूपी में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल हो सकती हैं आठ और जातियां, जल्द निर्णय लेगी योगी सरकार

राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में जातियों को शामिल करने के केंद्र से मिले अधिकार के बाद यूपी सरकार इसमें नई जातियों को शामिल करने में जुट गई है। फिलहाल आठ जातियां ऐसी हैं, जिन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने पर जल्द निर्णय लिया जाएगा। उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अगले महीने इन जातियों को शामिल करने के लिए विज्ञापन जारी कर आपत्तियां व सुझाव मांगेगा। 30 दिन का समय बीतने के बाद आयोग अंतिम सुनवाई करेगा और अपनी संस्तुतियां प्रदेश सरकार के पास भेजेगा। जातियों को ओबीसी की सूची में शामिल करने पर अंतिम फैसला प्रदेश सरकार करेगी।उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव के मद्देनजर जातियों की सियासत एक बार फिर तेज हो गई है। वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में 79 जातियां शामिल हैं। चुनाव नफा-नुकसान का आकलन कर सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में और जातियों को शामिल करने में जुट गई है। राज्य के अधीन आने वाली सेवाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण के लिए जातियों की सूची में नाम शामिल करने व हटाने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सुनवाई कर अपनी संस्तुति सरकार के पास भेजता है। इसी कड़ी में आयोग के पास आठ ऐसी जातियां हैं, जिनकी अब अंतिम चरण की सुनवाई होनी है।आठ जातियों के यह मामले करीब तीन-चार साल से आयोग में चल रहे हैं। प्रारंभिक सुनवाई के बाद आयोग ने इन जातियों का सैंपल सर्वे कराया। इसमें सामाजिक व शैक्षिक स्थिति का आकलन किया गया। साथ ही इनकी आर्थिक दशा भी देखी गई। जिन आठ जातियों का मामला चल रहा है, उनमें चार मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। इसमें पहली जाति मुस्लिमों में आने वाले बागवान है। जिस तरह हिंदुओं में माली होते हैं, उसी तरह मुस्लिमों में बागवान होते हैं। दूसरी जाति गोरिया है। यह जाति भी मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखती है।तीसरी जाति महापात्र व महाब्राह्मण है। यह अंतिम संस्कार कराने के साथ ही श्राद्ध वगैरह कराते हैं। चौथी जाति रुहेला है। यह खेती करते हैं, इनके पास बहुत छोटी-छोटी खेती की जमीनें हैं। पांचवीं जाति मुस्लिम भांट है। यह भी सामाजिक व शैक्षिक रूप से काफी पिछड़े हैं। छठी जाति भी मुस्लिम समुदाय की पवरिया या पमरिया है। सातवीं जाति सिक्ख लवाणा है, जो सिख समुदाय में आती है। यह भी कृषि का काम करते हैं। आठवीं जाति ऊनाई साहू है। यह बनिया समाज की जाति है। यह भी छोटा-मोटा व्यवसाय कर अपना परिवार पालते हैं।

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