ओएनजीसी अपतटीय क्षेत्रों में पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाने पर कर रही विचार
देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी क्षमता बढ़ाने के इरादे से अपने व्यापक अपतटीय क्षेत्रों में पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाकर बिजली उत्पादन करने पर विचार कर रही है। कंपनी के चेयरमैन सुभाष कुमार ने यह कहा।ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के पास अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों जगहों पर तेल एवं गैस फील्ड हैं। कंपनी छिछले और गहरे सागर में काम करने के अनुभव का उपयोग अब पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाने में करने पर विचार कर रही है। इन परियोजनाओं से उत्पादित बिजली का दूसरी जगहों पर उपयोग के लिये पारेषण किया जाएगा।कुमार ने कंपनी की सालाना रिपोर्ट में कहा, ‘‘अपतटीय पवन ऊर्जा के लिये पायलट परियोजना को लेकर अध्ययन शुरू किया गया है। इसका मकसद इस खंड में अवसरों का आकलन करना है।’’उल्लेखनीय है कि पिछले साल ओएनजीसी ने 7,600 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा पर पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाने की संभावना टटोलने को लेकर देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे।अपतटतीय पवन चक्कियां तटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की तुलना में लगभग दोगुनी कुशल होती हैं। लेकिन समुद्री वातावरण में आवश्यक मजबूत संरचनाओं और नींव के कारण अपतटीय टर्बाइन के लिए प्रति मेगावाट लागत अधिक है।सरकार ने 2022 तक अपतटीय क्षेत्रों में 5,000 मेगावाट तथा 2030 तक 30,000 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजनाएं लगाने का लक्ष्य रखा है।कुमार ने कहा कि ओएनजीसी भारत और दूसरे देशों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अवसरों पर गौर कर रही है।उन्होंने कहा, ‘‘हमने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कुल स्थापित क्षमता में 6 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजना को जोड़ा है। इसके साथ हमारी सौर ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 30 मेगावाट से अधिक हो गयी है। जबकि कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 325 मेगावाट को पार कर गयी है। हमने 2030 तक 10,000 मेगावाट का लक्ष्य रखा है। यानी हमें इस क्षेत्र में लंबा रास्ता तय करना है।’’