हिन्दी में रोजगार के अवसर’ पर हुई वाद-विवाद प्रतियोगिता
ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज द्वारा ‘हिन्दी में रोजगार के अवसर’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्राचार्य प्रो. आनन्द शंकर सिंह ने कहा कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है, यह एक समूची सभ्यता है। हिंदी भाषा के माध्यम से समूचे भारत को जाना जा सकता है। भाषा से जुड़ना स्वयं से जुड़ना है।
महाविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. आनन्द शंकर सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण व बढ़ते बाजार के कारण हिंदी सीखना अब दूसरे देशों के लिए भी आवश्यक है, क्योंकि बिना हिंदी सीखे वैश्वीकरण के युग में देश-दुनिया को भारत में अच्छे रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होंगे। इस प्रकार हिंदी में रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि हिंदी तकनीक, चिकित्सा, न्याय, इंजीनियरिंग की भाषा कैसे बने, इन सवालों पर विमर्श की आवश्यकता बनती है। आज विश्व के समग्र ज्ञान-विज्ञान को हिन्दी के समीप लाने की आवश्यकता है।
वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आशुतोष मिश्र, द्वितीय शुभम कुमार एवं तृतीय विमलेन्द्र कुमार और महिमा सिंह को एवं सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। संचालन डॉ. गायत्री सिंह ने किया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ.मनोज कुमार दुबे ने औपचारिक स्वागत किया। निर्णायक मण्डल में डॉ. आलोक कुमार मिश्र, डॉ. रागिनी राय रहीं। इस अवसर पर डॉ.सुमन अग्रवाल, कृष्णा सिंह, अश्विनी देवी, कृपा किंजलकम, अमरजीत राम, विवेक राय, अखिलेश त्रिपाठी आदि मौजूद रहे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आलोक कुमार ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थी भी मौजूद रहे।