यूपी: पंचायत चुनाव – अब इनको लगा तगड़ा झटका, नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण समय पर पंचायत चुनाव नहीं होंगे। राज्य में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां, कोविद -19 के 5 हजार से अधिक मामले कई दिनों से हर दिन राज्य में आ रहे हैं। अब इस बीच, चुनाव आयोग अगले साल की शुरुआत में पंचायत चुनाव कराने की भी तैयारी कर रहा है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में लगभग 59 हजार ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर तक खत्म हो जाएगा। राज्य में पंचायत चुनाव के मद्देनजर अभी तक मतदाता सूची संशोधन शुरू नहीं किया गया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान अक्टूबर तक शुरू हो जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि अगले साल मई-जून तक चुनाव हो सकते हैं।
इस बार वर्तमान प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्यों को बड़ा झटका लगने वाला है, जो फिर से चुनाव लड़ने का सपना देख रहे हैं। 80 प्रतिशत से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों और नियमों का उल्लंघन किया है। चुनाव आयोग ने चुनाव के समय खर्च का ब्योरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
चुनाव आयोग ने उस समय कहा था कि अगर किसी उम्मीदवार ने चुनाव में हुए खर्च का ब्योरा नहीं दिया, तो उसे चुनाव लड़ने से अयोग्य भी ठहराया जा सकता है। चुनाव आयोग के इस आदेश ने जीतने वाले उम्मीदवारों के साथ-साथ 80 प्रतिशत से अधिक हारे हुए लोगों का अनुपालन नहीं किया। अब आगामी चुनाव में नामांकन के समय, आयोग यह देखेगा कि किसने विवरण दिया है और किसने नहीं। जिन उम्मीदवारों ने विवरण नहीं दिया है उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश की सरकार पंचायत चुनाव के लिए बड़ी तैयारी कर रही है। ऐसी खबरें थीं कि राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर योगी सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। योगी सरकार ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा संशोधन कर सकती है।
रिपोर्टों के अनुसार, जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार पंचायत चुनाव लड़ने से दो से अधिक बच्चों वाले उम्मीदवारों पर प्रतिबंध लगा सकती है। इसके साथ ही उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने की तैयारी है। सरकार कैबिनेट के जरिए इस प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है।