अब स्विगी-जोमैटो वाले कौवे
सौरभ जैन
घर की छत पर कौवों की काऊ-काऊ मची हुई थी। कौओं का मोस्ट अवेटेड सीजन खत्म होने को था। यह गांव था इसलिए यहां कौवे थे। वैसे भी श्राद्ध पक्ष में कौवे रिसॉर्ट वाले विधायकों-सा फील करते है। सर्वत्र हर कोई उन्हें ही पुकार रहा होता है। कौवे को भोजन ग्रहण करवाने की मनुहार तो ऐसे होती है जैसे ससुराल में जमाई को खाना खिलाया जा रहा हो। कौवे जीवन की सार्थकता श्राद्ध के होने से ही होती है। कलियुग में काली बिल्ली का रास्ता इंसान काट ले तो बिल्ली के लिए अशुभ होता है। किंवदंतियां समय के अनुरूप बदल-सी गई हैं।
हाल-फिलहाल तो श्राद्ध के दिन कौवों के लिए हॉलिडे के दिन होते है, कौवे अपने पूरे कुटुम्ब के साथ इस अवसर को एन्जॉय करते हैं। कोरोना के बाद शहर से अपने गांव आ बसे रिटायर्ड शर्मा जी के घर की ही बात की जाए तो पिछले वर्ष ही उनके 95 बरस के पिताजी चल बसे। पंडित जी घर आये और कहा शर्मा जी! ‘आपके पिताश्री की इच्छा अधूरी रह गई है। नतीजतन अनोपान करना पड़ेगा, थोड़ी दान-दक्षिणा लगेगी बाकी सब हम संभाल लेंगे।Ó 95 बरस तक भी इच्छा पूरी न होना व्यक्ति के अभिलाषावान होने की अपार क्षमता को दर्शाता है। शर्मा जी मान गए आखिर पिताजी की इच्छा से जुड़ा प्रश्न जो था। पंडित जी आये, शार्ट पूजा की और ऑनलाइन पेमेंट लेकर चले गए। डिजिटल इंडिया में दक्षिणा पेटीएम करने पर पुण्य पर थोड़ा डिस्काउंट भी मिल जाता है। अंत में जाते-जाते पंडित जी ने मिसेज शर्मा से कहा ‘बहन जी, पिताजी की आत्मा की शांति के लिए कौवों को भोजन करवाना होगा और दान-पुण्य करने होंगे वरना आपके जीवन में संकट आएगा। संकट वाली बात जाहिर चेतावनी जैसी थी, जिसने मिसेज शर्मा को कौवों को भोजन करवाने के लिए प्रेरित किया। वैसे गौर करने वाली बात थी कि जब पिताजी जीवित थे, तब तक उनको कोई खास पूछता नहीं था अब चल बसे तो पंडित जी के कहने पर उनकी पसन्द की वस्तुओं की सूची तैयार की जा रही थी। उधर पिताजी स्वर्ग से एक आवेदन यमलोक के शिकायत निवारण विभाग को लिख रहे थे कि भूलोक की व्यवस्था ऐसी हो कि आदमी को जीते जी खाना मिल सके। अब यहां जीवित आदमी से तो कोई नहीं डरता, मरे हुए से सब डर जाते हैं।
इसी क्रम में छत पर थाल में खाद्य सामग्री सजा कर रखी गई। आसमान का नजारा विचित्र-सा था। ब्लैकी कौवे को उड़ते देख कल्लू कौवे ने पूछा ‘यार शर्मा जी तेरे इतने पुराने क्लाइंट हैं, तुझे कब से बुला रहे हैं, जाता क्यों नहीं?Ó इस पर ब्लैकी ने जवाब दिया, ‘ब्रो, वे घर का खाना खिलाते हैं और मुझे जोमैटो से कम कुछ जमता नहीं है। सीजन खत्म होने पर दोनों कौवे उड़े चले जा रहे थे।