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चाणक्य नीति के अनुसार इन तीन चीजों से व्यक्ति को रहना चाहिए दूर, नहीं मिलती है सफलता

चाणक्य श्रेष्ठ शिक्षक होने के साथ साथ सामाजिक चिंतक भी थे. चाणक्य ने अपने समय की परिस्थितियों से आने वाले समय की कई समस्याओं को समय से पहले ही भांप लिया था. चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में अपने मौलिक चिंतन से अर्जित किए गए विचारों को प्रस्तुत किया गया है. इन विचारों को ही चाणक्य नीति कहा जाता है.

चाणक्य का संबंध तक्षशिला विश्वविद्यालय से था. चाणक्य इसमें आचार्य थे और छात्रों को शिक्षा प्रदान करते थे. इस दौरान चाणक्य ने अपने अध्ययन और अनुभव के आधार पर पाया कि हर व्यक्ति में आगे बढ़ने यानि सफल होने की क्षमता होती है लेकिन व्यक्ति को इसका आभास नहीं होता है. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति गुणों की तुलना में अवगुणों से बहुत जल्दी प्रभावित होता है. जो व्यक्ति गुणों की तुलना में अवगुणों की वृद्धि करता है वह जीवन में असफलता का स्वाद चखता है. इसलिए व्यक्ति को अपने गुणों को विकसित करना चाहिए और इन आदतों से हमेशा दूर रहना चाहिए.

क्रोध सफलता में बाधक है
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण करना नहीं जानता है वह कभी सफल नहीं हो सकता है चाणक्य कहते हैं सफलता में सबसे बड़ी बाधा क्रोध ही है. क्रोध आने पर व्यक्ति अच्छे और बुरे का भेद नहीं कर पाता है. क्रोध में व्यक्ति स्वयं से नियंत्रण खो देता है जिस कारण उसे हानि उठानी पड़ती है. क्रोधी व्यक्ति से हर कोई दूरी बनाकर रखता है.

झूठ बोलने की आदत सफलता से दूर करती है
चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति की सबसे बुरी आदत है झूठ बोलना. चाणक्य के अनुसार झूठ बोलने वाला व्यक्ति समाज में कभी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है. जब लोगों को सच्चाई का पता चलता है तो ऐसे लोगों का सिर लज्जा से झुक जाता है इसलिए झूठ नहीं बोलना चाहिए.

समस्या नहीं समाधान तलाशें
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सदैव सकारात्मक सोचना चाहिए. जो लोग हमेशा समस्याओं की बात करते हैं वे जीवन में कभी सफल नहीं होते हैं. जीवन में सफल वही व्यक्ति होता है जिसके पास समस्या का समाधान होता है. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को समस्या पर नहीं समाधान पर विचार करना चाहिए.

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