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munawwar rana: मुनव्वर सच तो मत बोलो !

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इस समय मुनव्वर राणा देश के सबसे ज्यादा विवादास्पद और बदनाम शायर हैं,क्योंकि वे जो बोलते हैं वो बहुसंख्यक भारतीयों को चुभता है| कांटे की तरह चुभता है |.68 साल के मुनव्वर राणा को नहीं पता कि वे जिस सूबे में रहते हैं उसमें सच बोलना गुनाह है ,और ये गुनाह उन्होंने ने फिर एक बार कर दिया है तालिबान के मुताल्लिक अपनी प्रतिक्रिया देकर |हकीकत ये है कि मै और मेरे जैसे असंख्य लोग मुनव्वर की शायरी और उनकी पढंत के मुरीद हैं और जानते हैं कि मुनव्वर राणा ने अपने नाम के अनुरूप बौद्धिक और समाज में रौशनी फैला देने वाली शायरी की है ,लेकिन मुनव्वर को न जानने वाले लोग कहते हैं कि मुनव्वर कट्टर मुसलमान ही नहीं बल्कि देशद्रोही इंसान है |

पक्का मुसलमान होना मेरे ख्याल से उसी तरह कोई गुनाह नहीं है जिस तरह पक्का हिन्दू होना गुनाह नहीं है | हाँ देशद्रोही होना गुनाह है ,लेकिन इन दिनों देश में देशद्रोह की नई-नई परिभाषाएं गढ़ ली गयीं हैं ,इसलिए सच बोलकर मुनव्वर देशद्रोही करार दे दिए जाएँ तो मुमकिन है कि अदालतें भी उनकी मदद न कर पाएं |.अफगानिस्तान के मामले में जब सरकार की बोलती बंद हो ऐसे में कोई शायर कैसे कुछ कह सकता है ?

मुनव्वर का कहना है कि-‘ जितनी क्रूरता अफगानिस्तान में है, उससे ज्यादा क्रूरता तो हमारे यहां पर ही है। पहले ‘रामराज’ था लेकिन अब सब बदलकर ‘कामराज ‘ है। वे बोले कि जितनी एके-47 उनके पास नहीं होंगी, उतनी तो हिन्दुस्तान में माफियाओं के पास हैं। तालिबानी तो हथियार छीनकर और मांगकर लाते हैं लेकिन हमारे यहां माफिया खरीदते हैं।’ मेरे ख्याल से मुनव्वर ने कुछ भी नया नहीं कहा है.|उन्होंने उन तमाम पुरानी बातों को दोहराया है जिन्हें तमाम लोग वक्तन,बवक्तन कह चुके हैं |

आप देश में लाइसेंसशुदा हथियारों की संख्या राज्य वार देख लीजिये |आपको मुनव्वर के ब्यान की हक़ीत समझ में आ जाएगी |.मै देश के जिस हिस्से से आता हूँ उसे चंबल कहते हैं|यहां वैध और अवैध हथियार रखना संस्कृति है |मुनव्वर राणा जिस सूबे में रहते हैं उसे उत्तर प्रदेश कहा जाता है| वहां कितने वैध और अवैध हथियार हैं ये सरकार को भी शायद पता नहीं होगा |देश में हथियार हासिल करने के लिए कितने बड़े पैमाने पर फर्जी लायसेंस बनाने का धंधा चलता आया है ये बताने की जरूरत नहीं है|देश की सेनाओं के पास जितने हथियार हैं उनसे शायद कुछ ही कम या ज्यादा वैध और अवैध हथियार देश की जनता के पास हैं |.हथियारबंद लोगों में संख्या किसकी ज्यादा है ,यदि ये बता दिया जाये तो मुश्किल खड़ी हो सकती है |.

मुनव्वर जिस सूबे में रहते हैं वहां भाजपा की सरकार है .मुनव्वर को अपने सूबे के बारे में औरों से ज्यादा पता है ,इसलिए उन्होंने कहा है कि-‘ उत्तर प्रदेश में भी थोड़े बहुत तालिबानी हैं, यहां सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि हिंदू तालिबानी भी होते हैं।

‘मुनव्वर ने बहुत कम बात कही है,मै तो इस मुद्दे पर जाने कितने लेख लिख चुका हूँ,लेकिन चूंकि मै मुनव्वर की तरह नाम वाला और मुसलमान नहीं हूँ शायद इसीलिए मुझे बख्श दिया गया है और मुनव्वर को घेर लिया गया .\जबकि जो मुनव्वर राणा ने कहा है वो ही बात न्यूयार्क में बैठकर इस देश के विदेश मंत्री जी कह रहे हैं .एक बीमार शायर पर बरसने वालों में से अधिकाँश को ये भी पता नहीं है कि आखिर मुनव्वर ने कहा क्या है ? मुनव्वर सियासी आदमी नहीं हैं,वे शायर हैं और उन्हें जो जंचता है वो कहते हैं .उन्हें ऐसा करने का हक संविधान ने दिया है .उन्होंने कहा है कि -‘ तालिबान धीरे-धीरे स्थिति संभाल लेगा। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा उसका अंदरूनी मसला है।

यदि तालिबान ने अफगानिस्तान को आजाद करा लिया तो हमें क्या लेना देना। हमारे देश से अफगानिस्तान के रिश्ते बहुत ही अच्छे हैं, हमे कोई फिक्र नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले को समझना है तो ब्रिटिश राज में गुलाम हिंदुस्तान की तरह सोचना होगा।मेरे ख्याल से इसमें कोई गाली नहीं दी गयी है किसी व्यक्ति को,पार्टी को या विचारधारा को ,फिर आखिर कुछ लोग तिलमिलाए हुए क्यों हैं ? munawwar rana news Hindi shayari

मुनव्वर आशावादी हैं और आशावादी होना कोई बुरी बात नहीं है.हमारी सरकार भी मुनव्वर की तरह आशावादी है. मुनव्वर ने कहा कि-‘हिन्दुस्तान को तालिबान से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि अफगानिस्तान से जो हजारों बरस का साथ है उसने कभी हिन्दुस्तान को नुकसान नहीं पहुंचाया है। जब मुल्ला उमर की हुकूमत थी तब भी उसने किसी हिन्दुस्तानी को नुकसान नहीं पहुंचाया।

अफगानिस्तान में महिलाओं पर हो रहे जुल्म के बारे में मुनव्वर राना ने कहा कि धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। ‘मुमकिन है कि मुनव्वर ने तालिबान के सुधरने की कुछ ज्यादा आशा कर ली हो .लेकिन इसे देशद्रोह तो बिलकुल नहीं कहा जा सकता ..आप मानें या न मानें ये आपकी मर्जी है लेकि मुझे लगता है कि मुनव्वर तो विभाजन की उस विभीषिका कि स्मृति हैं जिसकी याद करने का संकल्प हर 14 अगस्त को हमारी सरकार ने लिया है.

भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनके बहुत से नजदीकी रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए। लेकिन साम्प्रदायिक तनाव के बावजूद मुनव्वर राना के पिता ने अपने देश में रहने को ही अपना कर्तव्य माना। मुनव्वर के पुरखे यदि पाकिस्तान को चुनते तो बात और होती .उन्होंने हिन्दुस्तान को चुना ,इसके लिए मुनव्वर को सम्मानित करने के बजाय गरियाना इंसानियत नहीं है .

आज के सन्दर्भ में देश की सियासत को दरियादिल होना चाहिए ,किन्तु दुर्भाग्य ये है कि सियासत लगातार संकीर्ण और अदावत आसूदा होती जा रही है .सारे फैसले इन्हीं दो आधारों पर किये जा रहे हैं .मुनव्वर से पहले यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर के डाक्टर कफील के साथ जो घटा वो तो मुनव्वर के साथ हो रहे बर्ताव से कहीं ज्यादा घिनौना और बर्बर था .ये बर्बरता किसी एक व्यक्ति की होती तो भी काबिले बर्दाश्त थी,लेकिन ये बर्बरता एक सरकार की और से की गयी इसलिए दुर्भाग्यपूर्ण है .

मुनव्वर को उनके लेखन के लिए साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला था ,सरकार का बस चले तो वो मुनव्वर से ये पुरस्कार वापस लेने के साथ ही उन्हें जेल में डाल दे .मै फिर कहता हूँ कि मुनव्वर राणा को सच नहीं बोलना चाहिए ,सच बोलना आजकल गुनाह है ,जो सच बोलेगा उसे भुगतना पडेगा .सच बोलने का खमियाजा कुछ भी हो सकता है .मुनव्वर की जान भी जा सकती है .

इत्तफाक से उनके और उनके कुनबे के बीच पहले से जमीन-जायदाद को लेकर पहले से रट्टे चल रहे हैं. ये मामले ही उन्हें हवालात में डालने के लिए बहाना बनाये जा सकते हैं .देश के गोदी मीडिया ने भी मुनव्वर राणा के बयान को अपने ढंग से रंग दिया है. कोई लिख रहा है कि-‘ मुनव्वर को तालिबान से हमदर्दी है’,कोई लिख रहा है कि -‘वे अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी से खुश हैं ‘.यानि सबने मुनव्वर की बात के अपने-अपने तरिके मतलब निकाल लिए हैं .गनीमत है कि मुनव्वर जब बोले तब देश की संसद और यूपी की विधानसभा के पावस सत्र समाप्त हो चुके थे ,अन्यथा एक-दो दिन मुनव्वर के नाम ही होते .

बहरहाल मुनव्वर राणा को देशद्रोही मानने और समझने वालों से मुझे बेहद सहानुभूति है ,मुझे सहानुभूति मुनव्वर राणा से भी है क्योंकि उन्होंने सच बोलने का गुनाह किया .मुझे सहनुभूति अपने आप से भी है क्योंकि मेरा ये आलेख पढ़ने के बाद मुझे भी प्रसाद के रूप में बहुत कुछ मिल सकता है ,लेकिन देश का हित इसी में है कि लोग सच बोलते रहें ,मुनव्वर बने रहें,देश को इस समय बुद्धि और प्रकाश यानि ‘मुनव्वर’ की बहुत जरूरत है ।

.@ राकेश अचल

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