उत्तर प्रदेश

जनमाष्टमी की पूर्व संध्या पर गोकुल में हुआ छठी पूजन

भगवान श्रीकृष्ण का जनमोत्सव भद्रमास की अष्टमी को मनाया जाता है। जबकि कान्हा के गांव गोकुल में उल्लसा नवमी को यानी नंदोत्सव के दिन पूरी तरह छा जाता है। लेकिन गोकुल में श्रीकृष्ण के जन्म से ठीक पहले यानी जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर नंदभवन में कान्हा की छठी पूजन का कार्यक्रम पूरे विधिविधान से हुआ। इस कार्यक्रम को नंदोत्सव और जन्माष्टमी जितनी ख्यात प्राप्त नहीं हुई है लेकिन छठी पूजन की कथा लोगों को हमेशां आकर्षित करती रही है। गोकुल के नंदभवन में जन्माष्टमी के एक दिन पहले भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन का कार्यक्रम विधिविधान से पूरा हुआ। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कृष्ण का छठी पूजन उनके जन्म के 364 दिन बाद हुआ था। इसकी वजह यह थी कि उनके जन्म के बाद कंस ने छह दिन के बच्चों को मारने का आदेश दिया था। इससे डरकर माता यशोदा ने छठी पूजन नहीं किया। अगले साल जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले ये समारोह धूमधाम से मनाया गया था।गोकुल के चेयरमैन संजय दीक्षित ने बताया कि कंस के कारागार में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंदभवन पहुंचा दिया था। इसके बाद योगमाया जेल में आ गई थीं। जब कंस उन्हें मारने आया तो आकाशवाणी हुई कि उसे मारने वाला जन्म ले चुका है। इसके बाद कंस ने बौखलाकर राक्षसी पूतना को आदेश दिया कि छह दिन के बच्चों को मार दिया जाए।बताया जाता है कि जब राक्षसी पूतना गोकुल पहुंची तो माता यशोदा ने बालकृष्ण को छिपा लिया। उन्होंने उनकी छठ पूजा भी नहीं की। कुछ दिनों बाद वे इस बात को भूल गईं। अगले साल जब श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाने की बात हुई तो सखी चंद्रावली ने यशोदा से कहा कि कन्हैया का छठी पूजन नहीं हुआ है, इसलिए कोई भी घर पर नहीं आएगा। इसके बाद मां यशोदा ने कन्घ्हैया के जन्म के 364 दिन बाद सप्घ्तमी को छठी पूजन किया।

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