बड़े लडैया महोबा वाले जिनसे हार गई तलवार
सिकरारा क्षेत्र के खानापट्टी गांव के राधाकृष्ण मंदिर पर मंगलवार को प्रख्यात आल्हा सम्राट गायक फौजदार सिंह ने ‘इंदल हरण’ व ‘पलख बुखारा’ की लड़ाई का वर्णन किया तो श्रोताओं की भुजाएं फड़क उठी और काया में जोश संचारित हो उठा। आल्हा सुन रहे भारी संख्या में मौजूद लोगों ने आल्हा सम्राट व उनके सहयोगियों की गायन के साथ ही भाव भंगिमा का करतल ध्वनि से स्वागत किया। उक्त मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने के साथ ही “आल्हा सम्मेलन” का आयोजन हुआ। दिन में लगभग दो बजे मंच पर राजपूताना भेष धारण किये हाथ मे तलवार लिए आल्हा सम्राट अपने ढंग से पहुंचे तो पंडाल में बैठे लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाकर उनका सम्मान किया। आयोजक दिनेश सिंह व प्रधानपति विनय सिंह सिंह व रिटायर फौजी मनोज सिंह व अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने माल्यार्पण कर स्वागत करने के साथ अंगवस्त्रम भेंट किया।अपने चिर परिचित हाव-भाव से ख्याति प्राप्त कलाकार ने वीरता व राष्ट्र स्वाभिमान का भाव भरकर प्राचीन कला को जीवंत रखने का संदेश दिया। इंदल हरण व पलख बुखारा की लड़ाई बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुति किया जिसे सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। आल्हा सम्राट की लहराती हुई तलवार उनके द्वारा वीर रस के बखान की पुष्टि कर रही थी। इसी बीच बडे लडैया महोबा वाले जिनसे हार गई तलवार पर लोगों के उत्साह का ठिकाना नहीं रहा। आल्हा के माध्यम से तुष्टिकरण की राजनीति व समाज में बढ़ रहे कुरीतियों पर कुठाराघात किया। आल्हा के माध्यम से ही आल्हा सम्राट ने कहा कि हमारे पाश्चात्य सभ्यता के चंगुल में फंसने से लोकगीत का ह्रास होता चला रहा है। अगर समय रहते हम लोग नही सोचे तो आने वाले समय में हमारी परंपराएं विलुप्त हो सकती है।