उत्तर प्रदेश

कानपुर हत्याकांड: विकाश दुबे की मदद करने वाले पुलिस कर्मी की, सुप्रीम कोर्ट ने….


नयी दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कानपुर के बिकरू गांव में दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के घर पर पुलिस कारर्वाई की मुखबिरी करने के आरोप में विशेष कार्य बल द्वारा गिरफ्तार किये गये निलंबित सब-इंस्पेक्टर के. के. शर्मा को पुख्ता सुरक्षा उपलब्ध कराये जाने संबंधी याचिका की सुनवाई से मंगलवार को इनकार कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने श्री शर्मा की पत्नी विनीता सिरोही को अपनी याचिका लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अश्विनी कुमार दुबे ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल के पति की जान को खतरा है।

दुबे ने परोक्ष रूप से विकास दुबे और उसके गुर्गों की मुठभेड़ का उल्लेख करते हुए आशंका जतायी कि निलंबित सब इंस्पेक्टर की भी गैर-न्यायिक हत्या की जा सकती है, लेकिन खंडपीठ उनकी इन दलीलों से संतुष्ट नजर नहीं आयी और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने को कहा। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। याचिकाकर्ता ने कहा था कि विकास दुबे और उसके गुर्गों की मुठभेड़ में हुई मौत की घटना के बाद उसके पति और खुद की जान को खतरा लगने लगा है, इसलिए उनकी जान की हिफाजत की जाये।

श्रीमती सिरोही ने अपने पति के खिलाफ दायर प्राथमिकी की निष्पक्ष, स्वतंत्र और कानून के दायरे में जांच का जिम्मा किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपे जाने या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने के निर्देश देने का भी अनुरोध न्यायालय से किया था। गौरतलब है कि विकास दुबे के घर पर दो-तीन जुलाई की मध्यरात्रि को पुलिसिया कारर्वाई की जानकारी पहले ही फोन से दे दी गयी थी, जिसके बाद दुबे और उसके साथियों ने पूरी तैयारी के साथ पुलिस दल पर धावा बोला था जिसमें आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी। मुखबिरी के आरोप में चौबेपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी विनय तिवारी और सब-इंस्पेक्टर के के शर्मा को निलंबित करने के बाद एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया था।


loading...

Related Articles

Back to top button