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धर्म में कारण धन नहीं परिणामों की निर्मलता: दुर्लभमति
भगवान शीतलनाथ का मनाया मोक्षकल्याणक

जीवन में धर्म की महिमा बताते हुए आर्यिकाश्री दुर्लभमति माताजी ने कहा धर्म में धन की नहीं परिणामों की निर्मलता है जव श्रावक के भाव होते हैं वह प्रभु की भक्ति में लीन होता है। आर्यिकाश्री ने दान की महिमा बताते हुए कहा प्रकृति तुमसे जो भी लेती है। उसे वापिस करती है उसी प्रकार श्रावक जो भी दान करता है। वह दान उसे भव-भव में काम आता है। दान खर्चा नहीं बीज का काम करता है जिस प्रकार भूमि में बीज रोपने पर पीढियों को लाभकारी होता है। नगर के आदिनाथ जैन बडा मंदिर विधान में आर्यिका दुर्लभमति माताजी के ससंघ सानिध्य में आर्यिका श्वेतमति माताजी, आर्यिका विदेह मति माताजी ससंघ की उपस्थिति में सिद्धचक्र विधान में भक्ति पूर्वक 128 अर्घ समर्पित किए। विधान के भगवान शीतलनाथ का मोक्षकलयाणक मनाया गया जिसमें भक्तिपूर्वक संगीतमय पूजन हुई। धर्मसभा के प्रारम्भ में मंगलाचरण की भक्तिमय प्रस्तुति बालिकाओं द्वारा की गई। इसके पूर्व सुबह सिद्धचक्र विधान की मांगलिक क्रियाओं के पूर्व श्रीजी का अभिषेक शान्तिधारा की मांगलिक क्रियाए विधिपूर्वक विधानाचार्य मनोज भैया ने सम्पन्न कराई।

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