महानवमी पर कवियों ने रचनाओं से माता से लिया आशीर्वाद
नवदुर्गा एवं विजयदशमी के पर्व के अंतिम दिन कौमी एकता की प्रतीक साहित्य संस्था हिंदी उर्दू अदबी के बैनर तले भक्ति रस से सरोबर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सर्व प्रथम मां भगवती के चित्र पर तिलक, रोरी लगाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि काका ललितपुरी ने की, जबकि संचालन अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. ने किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान हालात पर खबर रखनी पड़ती है। कहा कि कितनी सीता रावण की अनीति बंधन में है। उन्हें कैसे बचाओगे। हर दिल में रावण बैठा है। उसके वध को इतने राम कहां से लाओगे। आजकल हर बस्ती में रावण की सोने की लंका है। आतंकवाद की लंका दहन को इतने हनुमान कहां से लाओगे। महिला शक्ति की ओर से चांदनी शर्मा ने नारी शक्ति की व्याख्या करते हुये कहा कि शक्ति का अवतार है नारी उसे अबला मत जानो हे कलयुग के महिषासुर नारी शक्ति को पहचानें। रामस्वरूप अनुरागी ने माता को नमन करते हुये कहा सुर-असुरो का संहार किया तेरी लीला न्यारी है। मां न जाने तुमने कितनी की बिगडी तस्वीर न्यारी है। मंजूरानी कटारे व मां शेरा बाली को नमन करते हुये कहा मां शेरा आप तो साक्षात भवानी है तेरे दर्शन की माहिती या दीवानी। राधेश्याम ने काली माता के चरणों में नमन करते हुए कहा जब से आया हूं मैया शरण में तेरी तारे मैया तुम्हारे लिए। कार्यक्रम में उपस्थित कवियों में अशोक क्रांतिकारी, किशनसिंह बंजारा, एम.एल. भटनागर मामा, काका ललितपुरी आदि कवियों शानदार रचनायें पेश की जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। इस दौरान दयाचंद्र, संजय कटारे, मीरादेवी, छाया, दीपक, अनूप, दयाचंद्र, मनीष कुशवाहा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आभार राकेश नामदेव ने किया।