बेपटरी हुई है शहर की कानून व्यवस्था, एसपी से नही हो पाया संपर्क
जिले में इन दिनों क्राइम परवान चढ़ रहा है। क्राइम की वारदातें हर दिन बढ़ रही है। टप्पेबाजी से लगाकर लूट तक के क्राइम अब आम बात हो चुकी है। एसपी पुलिस प्रशासन या अपने मातहतों को हर दिन अपराध रोकने के लिए दिशा निर्देश दे रहे है। लेकिन इसके बाद भी अपराध रुकना आसान नहीं दिख रहा है। हालांकि, पैदल गस्त से लगाकर वाहन चेकिंग कर सिर्फ और सिर्फ़ पुलिस वाहवाही लूट रही है। बल्कि लुटेरे और अपराध के मास्टर अपने माइंड से वारदातों को यू ही अंजाम दे रहे है। इधर, सदर कोतवाली क्षेत्र में बीते सप्ताह से अब तक करीब आधा दर्जन वारदाते लूट, टप्पेबाजी की हो चुकी है। बात अगर बीते मई से लगाकर जून माह में हुए अपराधों की करें तो अपराधों में कही न कही बढोत्तरी तो देखी गई है। बीते कुछ दिन पूर्व में ही महिलाओं के साथ हुए छिनैती की घटनाओं ने कही न कही कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। मई माह में 21 फांसी, 14 हत्या, 10 दुराचार, 08 छेडछाड, 16 चोरी, 03 लूट, 01 अपहरण, घरेलू हिंसा से संबन्धत कुल 03 मामले पंजीकृत हुए। जून माह में फांसी में अतिरिक्त इजाफा न होते हुए 21 के आंकड़े पर रहा। हत्या के 11, दुराचार के 05, घरेलू हिंसा के 06 चोरी 20, लूट के 07 सहित अपराध के न जाने कितने ही माने प्रति माह सामने आते है। लेकिन इन पर अंकुश किस तरह से लगे कानून व्यवस्था का राज पूरी तरह से कायम हो सके यह अभी पूरीे तरह सुनिश्चित नही हो सका है। शहर वासियों की माने तो तत्कालीन कोतवाली प्रभारी दिनेश चंद्र मिश्र बूट की धमक पर शहरवासियों को सुरक्षा का अहसास कराते नजर आते थे। शाम को प्रमुख स्थानों व चौराहों सहित शहर में पैदल गश्त नियमित किया जाता था। लेकिन वर्तमान सदर कोतवाली प्रभारी कोतवाली के बाहर निकलना भी जरूरी नहीं समझते। एक माह में करीब आधा दर्जन लूट, टप्पेबाजी समेत अनेक घटनाए घटित हुई। उनकी कार्यशैली पर कई बार सवाल उठे लेकिन जिम्मेदारों ने ध्यान नही दिया।