सावधान ! प्लास्टिक की बोतल से पानी पीना बना सकता है बीमार…
जब भी हम कहीं बाहर जाते हैं और प्यास लगती है तो हम दुकान से पानी की बोतल खरीद लेते हैं। वहीं गर्मियों में भी हम फ्रीज में प्लास्टिक की बोतलों में पानी भरकर रखते हैं।
एक्सरसाइज करने के लिए जिम जाते हैं तो भी बहुत से लोग प्लास्टिक की बोतल में पानी लेकर जाते हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि प्लास्टिक की बोतल में लंबे समय तक पानी स्टोर करके रखने से आपकी सेहत को बहुत भारी नुकसान हो सकता है। एक रिसर्च में इस पर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
रिसर्च में हुए ये खुलासे
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी की एक रिसर्च के मुताबिक, प्लास्टिक की बोतल में Bisphenol A (BPA) नाम का केमिकल होता है। साथ ही इसमें हानिकारक केमिकल्स और बैक्टीरिया होते हैं। इससे शुगर और कैंसर जैसी कई खतरनाक बीमारियों हो सकती हैं। प्लास्टिक एक पॉलीमर है। यह कार्बन, हाइड्रोजन ऑक्सीजन और क्लोराइड से मिलकर बना होता है। इसमें मौजूद केमिकल और पॉलीमर में पाए जाने वाले तत्व यदि बॉडी में जाते हैं तो इनका अलग ही केमिकल रिएक्शन होता है। यही रिएक्शन बॉडी में कई बीमारियों का कारण बन जाता है।
हार्मोनल असंतुलन
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में 5000 लोगों पर स्टडी की। ये 5,000 लोग प्लास्टिक की बोतल यूज करते थे। उनके यूरिन टेस्ट से पता चला ज्यादातर लोगों को हार्मोन से जुड़ी समस्या थी। ये लोग प्लास्टिक या कोल्ड ड्रिंक की बोतल में पानी पिया करते थे। इसका कारण प्लास्टिक की बोतल में मिलने वाले हानिकारक केमिकल्स थे। सिंगल यूज प्लास्टिक बोतल के इस्तेमाल से कई और बीमारियों की आशंका है।
टॉयलेट से ज्यादा बैक्टीरिया
एक दूसरा रिसर्च अमेरिकी एथलीट्स के इस्तेमाल की गई बोतलों पर किया गया। जिन बोतल में उन लोगों ने लगातार एक हफ्ते तक पानी पिया था। उन बोतलों पर एक टॉयलेट सीट भी ज्यादा बैक्टीरिया मिले थे। जिनमें से 60% जर्म्स गंभीर रूप से बीमार करने के लिए काफी थे। इसलिए सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलों को एक बार इस्तेमाल के बाद रिसाइकिल करना चाहिए ।
कैंसर सहित इन बीमारियों का खतरा
रिसर्च में पता चला कि टेम्परेचर बढ़ने पर प्लास्टिक ‘डाइऑक्सिन’ नाम का केमिकल रिलीज करता है। हायली टॉक्सिक होने के कारण इससे ब्रेस्ट कैंसर और PCOS की आशंका होती है।
स्पर्म काउंट कम होता है: प्लास्टिक में फैथलेट होता है जो लिवर कैंसर का खतरा बढ़ाता है। साथ ही इससे स्पर्म काउंट भी कम होता है।